रक्खी थी तस्वीर तुम्हारी आँखों में
हम ने सारी रात गुज़ारी आँखों में
बिंदिया, चूड़ी, गजरा, कंगन एक तरफ़
सब पर भारी काजल धारी आँखों में
ममता के पहलू में पहली पहली नींद
पहला पहला ख़्वाब कुँवारी आँखों में
रात हुई तो सारे बदन में फैल गई
दिन भर जितनी आग उतारी आँखों में
सारी सारी रात तमाशा चलता है
आता है जब ख़्वाब मदारी आँखों में
जीते-जी धुँदला जाए ना-मुम्किन है
जीने की उम्मीद हमारी आँखों में
'जाज़िल' हर मंज़र से हैरत चुन चुन कर
डाल रहा हूँ बारी बारी आँखों में

ग़ज़ल
रक्खी थी तस्वीर तुम्हारी आँखों में
जीम जाज़िल