रहने दे शब अपने पास मुझ को
औरों सा न कर क़यास मुझ को
रह जा कि कहूँगा हाल दिल का
आ जाएँ तनिक हवास मुझ को
दिल नाज़ुक ओ कार-ए-इश्क़ दर-पेश
अपना है निपट हिरास मुझ को
या-रब गया कौन याँ से मेहमाँ
लगता है ये घर उदास मुझ को
महरम से तू सुनियो हाल मेरा
नईं ताक़त-ए-इल्तिमास मुझ को
हैरत ने किया है यक जहाँ का
जूँ आईना रू-शनास मुझ को
को जामा-ए-ख़ाक-ओ-ख़ूँ कि 'क़ाएम'
सजता था वही लिबास मुझ को
ग़ज़ल
रहने दे शब अपने पास मुझ को
क़ाएम चाँदपुरी