रहबरो बोलो माजरा क्या है
ये फ़सादों का सिलसिला क्या है
सिद्क़ दिल से अगर न हो आबिद
उन दुआओं का आसरा क्या है
कुछ समझ में मिरी नहीं आता
दिल लगाने से फ़ाएदा क्या है
ठोकरें गर्दिशें ग़म-ओ-आलाम
और तक़दीर में लिखा क्या है
जी तो ये चाहता है मर जाएँ
ज़िंदगी अब तिरी रज़ा क्या है
इश्क़ ईमान है मिरा नासेह
दिल दुखाने से फ़ाएदा क्या है
आज मग़्मूम क्यूँ हो ऐ 'ताबाँ'
कुछ तो बोलो कि माजरा क्या है
ग़ज़ल
रहबरो बोलो माजरा क्या है
अनवर ताबाँ