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रहबरी के लिए रहनुमा छोड़ दो | शाही शायरी
rahbari ke liye rahnuma chhoD do

ग़ज़ल

रहबरी के लिए रहनुमा छोड़ दो

नज़ीर नज़र

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रहबरी के लिए रहनुमा छोड़ दो
जा रहे हो तो अपना पता छोड़ दो

हौसलों से करो पार दरिया को तुम
कश्तियाँ छोड़ दो नाख़ुदा छोड़ दो

ताकि एहसास ज़ेहनों में ज़िंदा रहे
शाख़ पर एक पत्ता हरा छोड़ दो

याद उस की न राहों से भटके कहीं
जुगनुओं को चमकता हुआ छोड़ दो