रह के अच्छा भी कुछ भला न हुआ
मैं बुरा हो गया बुरा न हुआ
कहने वाले वो सुनने वाला मैं
एक भी आज दूसरा न हुआ
अब कहाँ गुफ़्तुगू मोहब्बत की
ऐसी बातें हुए ज़माना हुआ
शिकवा-ए-लुत्फ़ उन से क्या 'नातिक़'
न कभी आप ने कहा न हुआ
ग़ज़ल
रह के अच्छा भी कुछ भला न हुआ
नातिक़ गुलावठी