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रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ अच्छा हो जाएगा | शाही शायरी
rafta rafta sab kuchh achchha ho jaega

ग़ज़ल

रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ अच्छा हो जाएगा

इमरान शमशाद

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रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ अच्छा हो जाएगा
इन-शाआल्लाह सब कुछ अच्छा हो जाएगा

आड़े-तिरछे मंज़र सीधे हो जाएँगे
उल्टा सीधा सब कुछ अच्छा हो जाएगा

दुख से सुख का रिश्ता जिस दिन जान गए हम
रोना हँसना सब कुछ अच्छा हो जाएगा

मिल जाएगा जब रस्तों से अपना रस्ता
आना जाना सब कुछ अच्छा हो जाएगा

जब रस्ते में उस की ख़ुशबू मिल जाएगी
रुकना, चलना सब कुछ अच्छा हो जाएगा

धुल जाएँगे सारे मंज़र धुल जाएँगे
हो जाएगा सब कुछ अच्छा हो जाएगा

लम्बे ठिगने एक बराबर हो जाएँगे
ऊँचा नीचा सब कुछ अच्छा हो जाएगा

माज़ी हाल और मुस्तक़िल के सब लम्हों में
नया पुराना सब कुछ अच्छा हो जाएगा

इक इक कर के सारी गिर्हें खुल जाएँगी
मेरी गुड़िया सब कुछ अच्छा हो जाएगा

प्यारा प्यारा निखरा निखरा उजला उजला
अच्छे बाबा सब कुछ अच्छा हो जाएगा

अच्छा अच्छा हो जाएगा सब कुछ अच्छा
अच्छा अच्छा सब कुछ अच्छा हो जाएगा