रफ़्ता रफ़्ता लग चुके थे हम भी दीवारों के साथ
हश्र अपना भी यही था हम भी थे सारों के साथ
एक हलचल सी मची रहती है दिल में हर घड़ी
साथ हैं प्यारे हमारे हम नहीं प्यारों के साथ
लग गई थी मौत की अपनी भी छोटी सी ख़बर
आख़िर अपना भी तअल्लुक़ था इन अख़बारों के साथ
आ रही है उन की ख़ू बू अपने अंदर भी कहीं
हैं रेआया ही मगर रहते हैं सरदारोँ के साथ
फ़र्ज़ कुछ पगड़ी बचाना भी है लेकिन एक दिन
देखना सर भी चले आएँगे दस्तारों के साथ
दूर से तो फ़र्क़ ही कोई नज़र आता नहीं
इस तरह रुल मिल गए हैं फूल अँगारों के साथ
हो गई है शक्ल ही तब्दील दरबारों की अब
वर्ना हम भी कम नहीं वाबस्ता दरबारों के साथ
पड़ गए थे राएगाँ पहचान के चक्कर में हम
अपनी मर्ज़ी से जो हम उड़ते नहीं डारों के साथ
बे-तअल्लुक़ भी है वो हम ने भी है अब तक 'ज़फ़र'
राब्ता जोड़ा हुआ टूटे हुए तारों के साथ
ग़ज़ल
रफ़्ता रफ़्ता लग चुके थे हम भी दीवारों के साथ
ज़फ़र इक़बाल