रात को पहलू में इक तस्वीर रौशन हो गई 
ख़्वाब तो देखा नहीं ताबीर रौशन हो गई 
उस बुत-ए-काफ़िर को जो देखा बहुत नज़दीक से 
नक़्श-गर की शोख़ी-ए-तहरीर रौशन हो गई 
दश्त-ए-वहशत में ग़ुबार-ए-नाक़ा-ए-लैला तो है 
हसरत ऐ पा-ए-जुनूँ ज़ंजीर रौशन हो गई 
ज़ख़्म-ए-नौमीदी चराग़ाँ कर रहे हैं ज़ीस्त में 
दाग़ क्या रौशन हुए तक़दीर रौशन हो गई 
उस की आँखों में उमड आया सितारों का हुजूम 
गुल-कदे में शौक़ की तनवीर रौशन हो गई 
आरज़ूएँ सब शिकस्ता ख़्वाब सारे मुंहदिम 
मेरे घर में रौनक़-ए-ता'मीर रौशन हो गई 
साज़-ए-दिल-दारी पे नग़्मा-ज़न हुई शाम-ए-विसाल 
मौज-ए-गुल की ख़ूबी-ए-तक़रीर रौशन हो गई 
रक़्स फ़रमाने लगे सब रंज-ओ-ग़म सोज़-ओ-अलम 
शम-ए-मीना जल उठी तासीर रौशन हो गई 
उम्र-ए-ज़िंदाँ में गुज़ारी पर 'नदीम' इतना तो है 
मशअ'ल-ए-ख़ुर्शीद से ज़ंजीर रौशन हो गई
        ग़ज़ल
रात को पहलू में इक तस्वीर रौशन हो गई
कामरान नदीम

