राह-रौ चुप हैं राहबर ख़ामोश
कैसे गुज़रेगा ये सफ़र ख़ामोश
कोई हंगामा-ए-हयात नहीं
रात ख़ामोश है सहर ख़ामोश
ज़िंदगी को कहाँ तलाश करें
कूचा कूचा नगर नगर ख़ामोश
बज़्म में वो ख़मोश क्या होंगे
हो सके जो न दार पर ख़ामोश

ग़ज़ल
राह-रौ चुप हैं राहबर ख़ामोश
वाहिद प्रेमी