क़ुर्ब के न वफ़ा के होते हैं
झगड़े सारे अना के होते हैं
बात निय्यत की सिर्फ़ है वर्ना
वक़्त सारे दुआ के होते हैं
भूल जाते हैं मत बुरा कहना
लोग पुतले ख़ता के होते हैं
वो ब-ज़ाहिर जो कुछ नहीं लगते
उन से रिश्ते बला के होते हैं
ग़ज़ल
क़ुर्ब के न वफ़ा के होते हैं
अख़्तर मालिक