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क़ुर्ब के न वफ़ा के होते हैं | शाही शायरी
qurb ke na wafa ke hote hain

ग़ज़ल

क़ुर्ब के न वफ़ा के होते हैं

अख़्तर मालिक

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क़ुर्ब के न वफ़ा के होते हैं
झगड़े सारे अना के होते हैं

बात निय्यत की सिर्फ़ है वर्ना
वक़्त सारे दुआ के होते हैं

भूल जाते हैं मत बुरा कहना
लोग पुतले ख़ता के होते हैं

वो ब-ज़ाहिर जो कुछ नहीं लगते
उन से रिश्ते बला के होते हैं