EN اردو
क़िले बर्बाद करता और पत्थर छोड़ जाता है | शाही शायरी
qile barbaad karta aur patthar chhoD jata hai

ग़ज़ल

क़िले बर्बाद करता और पत्थर छोड़ जाता है

मधुवन ऋषि राज

;

क़िले बर्बाद करता और पत्थर छोड़ जाता है
जहाँ जाता है ख़ूँ का इक समुंदर छोड़ जाता है

मोहब्बत तेरी गुज़रे है मिरे दिल से मिरे क़ातिल
कि जैसे लूट कर शहरों को लश्कर छोड़ जाता है

ये मेरे इश्क़ की दौलत है ऊँची क़स्र-ए-सुल्ताँ से
जो अपनी सारी दौलत को यहीं पर छोड़ जाता है