EN اردو
क़मर की वो ख़ुर्शीद तस्वीर है | शाही शायरी
qamar ki wo KHurshid taswir hai

ग़ज़ल

क़मर की वो ख़ुर्शीद तस्वीर है

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

;

क़मर की वो ख़ुर्शीद तस्वीर है
गले में सितारों की ज़ंजीर है

कहाँ पा-ए-जानाँ कहाँ मेरा सर
ये तालेअ् ये क़िस्मत ये तक़दीर है

ख़फ़ा आप से आप होते हो क्यूँ
बता दो जो कुछ मेरी तक़्सीर है

न खोलो ख़त उस का धड़कता है दिल
ख़ुदा जाने क्या इस में तहरीर है

नुमायाँ है क़ौस-ए-क़ुज़ह अब्र में
मिसी पर लिखौटे की तहरीर है

मुनासिब है कुछ खा के मर जाओ 'बर्क़'
यही दर्द-ए-फ़ुर्क़त की तदबीर है