क़ाएदे बाज़ार के इस बार उल्टे हो गए
आप तो आए नहीं पर फूल महँगे हो गए
एक दिन दोनों ने अपनी हार मानी एक साथ
एक दिन जिस से झगड़ते थे उसी के हो गए
मुझ को इस हुस्न-ए-नज़र की दाद मिलनी चाहिए
पहले से अच्छे थे जो कुछ और अच्छे हो गए
मुद्दतों से हम ने कोई ख़्वाब भी देखा नहीं
मुद्दतों इक शख़्स को जी भर के देखे हो गए
बस तिरे आने की इक अफ़्वाह का ऐसा असर
कैसे कैसे लोग थे बीमार अच्छे हो गए
ग़ज़ल
क़ाएदे बाज़ार के इस बार उल्टे हो गए
नोमान शौक़