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प्यारे प्यारे युगों में आए प्यारे प्यारे लोग | शाही शायरी
pyare pyare yugon mein aae pyare pyare log

ग़ज़ल

प्यारे प्यारे युगों में आए प्यारे प्यारे लोग

अहमद वसी

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प्यारे प्यारे युगों में आए प्यारे प्यारे लोग
इस बेचारे दौर में जन्मे हम बेचारे लोग

हर चेहरे पर खिंची हुई हैं थकन की रेखाएँ
जीत का इक पल खोज रहे हैं हारे हारे लोग

भोर भई फिर साँझ भई फिर भोर भई फिर साँझ
समय चक्कर में बंधे हुए हैं साँझ सकारे लोग

आती है इतिहास से उन के भाँत भाँत की बास
हर मिट्टी को सूँघ चुके हैं ये बंजारे लोग

हद-बंदी की रेखा तोड़ें आओ गले लग जाएँ
इधर तुम्हारे लोग खड़े हैं उधर हमारे लोग

इस सावन में हर आँगन में दुखों की है बरसात
अब के कोई बच नहीं पाया भीगे सारे लोग