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प्यार में उस ने तो दानिस्ता मुझे खोया था | शाही शायरी
pyar mein usne to danista mujhe khoya tha

ग़ज़ल

प्यार में उस ने तो दानिस्ता मुझे खोया था

शकील शम्सी

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प्यार में उस ने तो दानिस्ता मुझे खोया था
जाने क्यूँ फिर वो अकेले में बहुत रोया था

उस को भी नींद नहीं आई बिछड़ कर मुझ से
आख़िरी बार वो बाँहों में मिरी सोया था

मेरे अश्कों में रहा वो भी बराबर का शरीक
मैं ने ये बोझ अकेले ही नहीं ढोया था

रात भर तुझ को सुनाता रहा मेरा क़िस्सा
रात भर चाँद दरीचे में तिरे गोया था

फूल नफ़रत के उगे हैं तो तअ'ज्जुब कैसा
तुम ने उल्फ़त का कोई बीज कहाँ बोया था

ख़त पे टपके हुए आँसू ये बताते हैं 'शकील'
मेरी तहरीर को बारिश ने नहीं धोया था