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पुर-हौल जंगलों की सदा मेरे साथ है | शाही शायरी
pur-haul jangalon ki sada mere sath hai

ग़ज़ल

पुर-हौल जंगलों की सदा मेरे साथ है

ज़मान कंजाही

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पुर-हौल जंगलों की सदा मेरे साथ है
मैं जिस तरफ़ भी जाऊँ हवा मेरे साथ है

दुनिया में आज मुझ को बलाओं का डर नहीं
हर लम्हा मेरी माँ की दुआ मेरे साथ है

दुश्वार रास्तों में हिफ़ाज़त करेगा वो
मैं मुतमइन हूँ मेरा ख़ुदा मेरे साथ है

बरसेगी आज दिल की ज़मीं पर ये टूट कर
गोया 'ज़मान' ग़म की घटा मेरे साथ है