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पीव के आने का वक़्त आया है | शाही शायरी
piw ke aane ka waqt aaya hai

ग़ज़ल

पीव के आने का वक़्त आया है

सिराज औरंगाबादी

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पीव के आने का वक़्त आया है
जी के जाने का वक़्त आया है

नीम-बिस्मिल हूँ तेग़-ए-अबरू सीं
तिलमिलाने का वक़्त आया है

शब-ए-ख़ल्वत में उस परी-रू कूँ
दुख सुनाने का वक़्त आया है

मुल्क-ए-वीरान कूँ मिरे दिल के
फिर बसाने का वक़्त आया है

कब तलक हिज्र की अगन में जलूँ
आ बुझाने का वक़्त आया है

पीव के ग़म में अनझो बहाता हूँ
क्या बहाने का वक़्त आया है

मिस्ल-ए-परवाना शम्अ-रू पे 'सिराज'
दिल जलाने का वक़्त आया है