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पीनस में गुज़रते हैं जो कूचे से वह मेरे | शाही शायरी
pinas mein guzarte hain jo kuche se wo mere

ग़ज़ल

पीनस में गुज़रते हैं जो कूचे से वह मेरे

मिर्ज़ा ग़ालिब

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पीनस में गुज़रते हैं जो कूचे से वो मेरे
कंधा भी कहारों को बदलने नहीं देते