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पी के गिरने का है ख़याल हमें | शाही शायरी
pi ke girne ka hai KHayal hamein

ग़ज़ल

पी के गिरने का है ख़याल हमें

नवाब ज़ियाउद्दीन ख़ाँ रख़्शां

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पी के गिरने का है ख़याल हमें
साक़िया लीजियो सँभाल हमें

शब न आए जो अपने वा'दे पर
गुज़रे क्या क्या न एहतिमाल हमें

तेरे ग़ुस्से ने एक-दम में किया
मुर्दा-ए-सद-हज़ार साल हमें

दिल में मुज़्मर है मा'नी-ए-बाक़ी
किसी सूरत नहीं ज़वाल हमें

ताले-ए-बद से नय्यर-ए-'रख़्शाँ'
अपने ही घर में है विसाल हमें