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फिर कोई याद आ गया शायद | शाही शायरी
phir koi yaad aa gaya shayad

ग़ज़ल

फिर कोई याद आ गया शायद

जतीन्द्र वीर यख़मी ’जयवीर’

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फिर कोई याद आ गया शायद
हम को जीना सिखा गया शायद

होगी तकलीफ़ तो दुआ कीजे
फिर वही दर्द है उठा शायद

वो नहीं आज-कल ख़फ़ा हम से
कोई निकला है रास्ता शायद

फेर ली आँख आप ने जब से
है बुरा वक़्त आ गया शायद

दिल ये टूटा है आप के हाथों
लोग समझे हैं हादसा शायद