फिर कोई याद आ गया शायद
हम को जीना सिखा गया शायद
होगी तकलीफ़ तो दुआ कीजे
फिर वही दर्द है उठा शायद
वो नहीं आज-कल ख़फ़ा हम से
कोई निकला है रास्ता शायद
फेर ली आँख आप ने जब से
है बुरा वक़्त आ गया शायद
दिल ये टूटा है आप के हाथों
लोग समझे हैं हादसा शायद
ग़ज़ल
फिर कोई याद आ गया शायद
जतीन्द्र वीर यख़मी ’जयवीर’