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फिर कोई आ रहा है दिल के क़रीब | शाही शायरी
phir koi aa raha hai dil ke qarib

ग़ज़ल

फिर कोई आ रहा है दिल के क़रीब

सफ़दर मीर

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फिर कोई आ रहा है दिल के क़रीब
दाग़ ताज़ा खिला है दिल के क़रीब

फिर कोई याद साया-अफ़गन है
धुँदली धुँदली फ़ज़ा है दिल के क़रीब

फिर कोई ताज़ा वारदात हुई
जमघटा सा लगा है दिल के क़रीब

आज भी चैन से न सोइएगा
फिर कहीं रत-जगा है दिल के क़रीब

कल खिले थे यहाँ नशात के फूल
अब धुआँ उठ रहा है दिल के क़रीब