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फिर इस के बाद रास्ता हमवार हो गया | शाही शायरी
phir is ke baad rasta hamwar ho gaya

ग़ज़ल

फिर इस के बाद रास्ता हमवार हो गया

सग़ीर मलाल

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फिर इस के बाद रास्ता हमवार हो गया
जब ख़ाक से ख़याल नुमूदार हो गया

इक दास्तान-गो हुआ ऐसा कि अपने बाद
सारी कहानियों का वो किरदार हो गया

साया न दे सका जिसे दीवार का वजूद
उस का वजूद नक़्श-ब-दीवार हो गया

आँखें बुलंद होते ही महदूद हो गईं
नज़रें झुका के देखा तो दीदार हो गया

वो दूसरे दयार की बातों से आश्ना
वो अजनबी क़बीले का सरदार हो गया

सोए हुए करेंगे 'मलाल' उस का तजज़िया
इस ख़्वाब-गाह में कोई बेदार हो गया