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परियों ऐसा रूप है जिस का लड़कों ऐसा नाँव | शाही शायरी
pariyon aisa rup hai jis ka laDkon aisa nanw

ग़ज़ल

परियों ऐसा रूप है जिस का लड़कों ऐसा नाँव

ज़फ़र इक़बाल

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परियों ऐसा रूप है जिस का लड़कों ऐसा नाँव
सारे धंदे छोड़-छाड़ के चलिए उस के गाँव

पक्की सड़कों वाले शहर में किस से मिलने जाएँ
हौले से भी पाँव पड़े तो बज उठती हैं खड़ांव

आते हैं खुलता दरवाज़ा देख के रुक जाते हैं
दिल पर नक़्श बिठा जाते हैं यही ठिटकते पाँव

प्यासा कव्वा जंगल के चश्मे में डूब मरा
दीवाना कर देती है पेड़ों की महकती छाँव

अभी नई बाज़ी होगी फिर से पत्ता डालेंगे
कोई बात नहीं जो हार गए हैं पहला दाँव