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परी उड़ जाएगी और राजधानी ख़त्म होगी | शाही शायरी
pari uD jaegi aur rajdhani KHatm hogi

ग़ज़ल

परी उड़ जाएगी और राजधानी ख़त्म होगी

तौक़ीर तक़ी

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परी उड़ जाएगी और राजधानी ख़त्म होगी
ये आँखें बंद होते ही कहानी ख़त्म होगी

किसी संदूक़ में दीमक-ज़दा ख़त देखते ही
कहा दिल ने अब उस की हर निशानी ख़त्म होगी

उसे ये शौक़ गहरी धुँद लिपटे हर शजर से
मुझे ये फ़िक्र कैसे बद-गुमानी ख़त्म होगी

ख़बर कब थी तिलिस्म ऐसा है इस भीगी नज़र में
यकायक जिस्म से ख़ूँ की रवानी ख़त्म होगी

ज़मीं पर आसमाँ होते परिंदे जान लेंगे
सितारों पर भी आख़िर हुक्मरानी ख़त्म होगी

हमारी राह में बैठेगी कब तक तेरी दुनिया
कभी तो इस ज़ुलेख़ा की जवानी ख़त्म होगी

ख़ुदा जाने कहाँ टूटे मसाफ़त का तसलसुल
पर इतना जानते हैं बे-मकानी ख़त्म होगी