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पलट कर देख लेना जब सदा दिल की सुनाई दे | शाही शायरी
palaT kar dekh lena jab sada dil ki sunai de

ग़ज़ल

पलट कर देख लेना जब सदा दिल की सुनाई दे

नक़्श लायलपुरी

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पलट कर देख लेना जब सदा दिल की सुनाई दे
मेरी आवाज़ में शायद मिरा चेहरा दिखाई दे

मोहब्बत रौशनी का एक लम्हा है मगर चुप है
किसे शम-ए-तमन्ना दे किसे दाग़-ए-जुदाई दे

चुभें आँखों में भी और रूह में भी दर्द की किर्चें
मिरा दिल इस तरह तोड़ो के आईना बधाई दे

खनक उट्ठें न पलकों पर कहीं जलते हुए आँसू
तुम इतना याद मत आओ के सन्नाटा दुहाई दे

रहेगा बन के बीनाई वो मुरझाई सी आँखों में
जो बूढे बाप के हाथों में मेहनत की कमाई दे

मिरे दामन को वुसअ'त दी है तू ने दश्त-ओ-दरिया की
मैं ख़ुश हूँ देने वाले तू मुझे कतरा के राई दे

किसी को मख़मलीं बिस्तर पे भी मुश्किल से नींद आए
किसी को 'नक़्श' दिल का चैन टूटी चारपाई दे