पैमाना-ए-हाल हो गए हम
गर्दिश में मिसाल हो गए हम
तकमील-ए-कमाल होते होते
तम्हीद-ए-ज़वाल हो गए हम
इम्कान-ए-वजूद के सफ़र पर
निकले तो मुहाल हो गए हम
आईना-ए-कर्ब लफ़्ज़-ओ-मा'नी
फ़रहंग-ए-मलाल हो गए हम
पहले तो रहे हक़ीक़त अफ़रोज़
फिर ख़्वाब-ओ-ख़याल हो गए हम

ग़ज़ल
पैमाना-ए-हाल हो गए हम
सहर अंसारी