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पहलू में दर्द-ए-इश्क़ की दुनिया लिए हुए | शाही शायरी
pahlu mein dard-e-ishq ki duniya liye hue

ग़ज़ल

पहलू में दर्द-ए-इश्क़ की दुनिया लिए हुए

शकील बदायुनी

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पहलू में दर्द-ए-इश्क़ की दुनिया लिए हुए
बैठा हूँ ज़िंदगी का सहारा लिए हुए

दिल है तजल्ली-ए-रुख़-ए-ज़ेबा लिए हुए
आग़ोश में है चाँद को दरिया लिए हुए

पहुँचे तो दिल में जोश-ए-तमन्ना लिए हुए
लौटे मगर लुटी हुई दुनिया लिए हुए

मैं जी रहा हूँ ग़म-कदा-ए-रोज़गार में
तेरी मोहब्बतों का सहारा लिए हुए

उठता हूँ बज़्म-ए-हुस्न से लग़्ज़िश-ब-पा 'शकील'
बहकी सी इक नज़र का सहारा लिए हुए