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पहले तो आती थीं ईदें भी तुम्हारे आए | शाही शायरी
pahle to aati thin iden bhi tumhaare aae

ग़ज़ल

पहले तो आती थीं ईदें भी तुम्हारे आए

इकराम आज़म

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पहले तो आती थीं ईदें भी तुम्हारे आए
ख़ैरियत अब के तुम आए तो अकेले आए

तेरी बे-साख़्ता हैरानी कहाँ है ऐ दोस्त
हम तो आतिश कहीं ईंधन के एवज़ दे आए

अब तो रहज़न ही कोई रोके तो मालूम पड़े
रहनुमा कैसे उजाड़ों में हमें ले आए

हम तो यक-रंग उजाले से ही मसहूर रहे
रौशनी तुझ में ये सत-रंग कहाँ से आए

हम ने बेची थीं जहाँ नींदें उसी मंडी से
तेरी आँखों के लिए ख़्वाब सुहाने आए