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पड़ गई आप पर नज़र ही तो है | शाही शायरी
paD gai aap par nazar hi to hai

ग़ज़ल

पड़ गई आप पर नज़र ही तो है

क़द्र बिलगरामी

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पड़ गई आप पर नज़र ही तो है
इक ख़ता हो गई बशर ही तो है

इतना भारी न डालिए मूबाफ़
बल न खाए कहीं कमर ही तो है

मेरी आहों से उन के दिल में असर
कभी यूँ भी उड़े ख़बर ही तो है

पाँव फैलाए हम ने मरक़द में
चलते चलते थके सफ़र ही तो है

'क़द्र' ने क्या ज़बान पाई है
लोग कहते हैं ये सहर ही तो है