पास होने का इशारा मिल गया
अब तो जीने का सहारा मिल गया
ढल गया सूरज तो कुछ ऐसा लगा
सुब्ह-ए-नौ का इक नज़ारा मिल गया
तुम मिले तो मिल गई है ज़िंदगी
मरते मरते भी सहारा मिल गया
ना-उमीदी को मिली उम्मीद इक
इक सहारा जब तुम्हारा मिल गया
डूबने वाली थी कश्ती जान की
अब तो साहिल का किनारा मिल गया
ये ज़मीन-ओ-आसमाँ क्या हैं 'सबा'
जब जहान-ए-इश्क़ सारा मिल गया
ग़ज़ल
पास होने का इशारा मिल गया
बबल्स होरा सबा