पास आ कर चला गया कोई
हँसते हँसते रुला गया कोई
दिल की दुनिया में आ गया कोई
दर्द बन कर समा गया कोई
यूँ बहार आई और चली भी गई
जैसे आ कर चला गया कोई
दर्द-ए-उल्फ़त से आश्ना कर के
मुझ से आँखें चुरा गया कोई
फिर नज़र में बहार रक़्साँ है
फिर तसव्वुर पे छा गया कोई
हाए रे मेरी नीम-बेदारी
आते आते चला गया कोई
राज़-ए-उल्फ़त न छुप सका 'नय्यर'
आँखों आँखों में पा गया कोई
ग़ज़ल
पास आ कर चला गया कोई
नय्यर आस्मी