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पास आ कर चला गया कोई | शाही शायरी
pas aa kar chala gaya koi

ग़ज़ल

पास आ कर चला गया कोई

नय्यर आस्मी

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पास आ कर चला गया कोई
हँसते हँसते रुला गया कोई

दिल की दुनिया में आ गया कोई
दर्द बन कर समा गया कोई

यूँ बहार आई और चली भी गई
जैसे आ कर चला गया कोई

दर्द-ए-उल्फ़त से आश्ना कर के
मुझ से आँखें चुरा गया कोई

फिर नज़र में बहार रक़्साँ है
फिर तसव्वुर पे छा गया कोई

हाए रे मेरी नीम-बेदारी
आते आते चला गया कोई

राज़-ए-उल्फ़त न छुप सका 'नय्यर'
आँखों आँखों में पा गया कोई