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पारसाई उन की जब याद आएगी | शाही शायरी
parsai unki jab yaad aaegi

ग़ज़ल

पारसाई उन की जब याद आएगी

अमीरुल्लाह तस्लीम

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पारसाई उन की जब याद आएगी
मुझ से मेरी आरज़ू शरमाएगी

गर यही है पास-ए-आदाब-ए-सुकूत
किस तरह फ़रियाद लब तक आएगी

ये तो माना देख आएँ कू-ए-यार
फिर तमन्ना और कुछ फ़रमाएगी

जाने दे सब्र ओ क़रार ओ होश को
तू कहाँ ऐ बे-क़रारी जाएगी

हिज्र की शब गर यही है इज़्तिराब
नींद ऐ 'तस्लीम' क्यूँकर आएगी