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नुमूद-ए-रंग-ओ-बू ने मार डाला | शाही शायरी
numud-e-rang-o-bu ne mar Dala

ग़ज़ल

नुमूद-ए-रंग-ओ-बू ने मार डाला

अमीन हज़ीं

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नुमूद-ए-रंग-ओ-बू ने मार डाला
उसी की आरज़ू ने मार डाला

न दुनिया ही का रक्खा और न दीं का
दिल-ए-मदहोश तू ने मार डाला

तकल्लुम का फ़ुसूँ अल्लाहु-अकबर
किसी की गुफ़्तुगू ने मार डाला

न रूदाद-ए-हुबाब-ए-ज़िंदगी पूछ
ख़िराम-ए-आब-जू ने मार डाला

ख़ुदा वाइज़ से समझे हश्र के दिन
हमें उस बे-वज़ू ने मार डाला

ज़माने के 'अमीं' मुँह कौन आता
ख़याल-ए-आबरू ने मार डाला