निगाह-ए-बद-गुमाँ है और मैं हूँ 
फ़रेब-ए-आशियाँ है और मैं हूँ 
शरीक-ए-बे-कसी आए कहाँ से 
ज़मीं पर आसमाँ है और मैं हूँ 
उधर क्या घूरती है कस्मपुर्सी 
मिरा अज़्म-ए-जवाँ है और मैं हूँ 
सरापा-गोश है सुब्ह-ए-शब-ए-तार 
किसी की दास्ताँ है और मैं हूँ 
घुटा जाता है दम ऐ सोज़-ए-एहसास 
तह-ए-दामन धुआँ है और मैं हूँ 
हवादिस अब जिसे चाहें सराहें 
नसीब-ए-दुश्मनाँ है और मैं हूँ 
क़फ़स नग़्मों से गूँज उठता है 'याक़ूब' 
उमीद-ए-ख़ुश-बयाँ है और मैं हूँ
        ग़ज़ल
निगाह-ए-बद-गुमाँ है और मैं हूँ
याक़ूब उस्मानी

