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नज़र आते थे हम इक दूसरे को | शाही शायरी
nazar aate the hum ek dusre ko

ग़ज़ल

नज़र आते थे हम इक दूसरे को

सरफ़राज़ ज़ाहिद

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नज़र आते थे हम इक दूसरे को
ज़माने को नज़र आने से पहले

तअ'ज्जुब है कि इस धरती पे कुछ लोग
जिया करते थे मर जाने से पहले

मुज़य्यन थी किसी के ख़ाल-ओ-ख़द से
हमारी शाम पैमाने से पहले

गरेबाँ के बटन पे ऊँघता था
सितारा आँख खुल जाने से पहले

रहा करता था अपने ज़ोम में वो
हमारे ध्यान में आने से पहले