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नज़ारे हुए हैं इशारे हुए हैं | शाही शायरी
nazare hue hain ishaare hue hain

ग़ज़ल

नज़ारे हुए हैं इशारे हुए हैं

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब

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नज़ारे हुए हैं इशारे हुए हैं
हम उन के हुए वो हमारे हुए हैं

हमें तो भले लगते हैं और भी अब
वो ज़ेवर को अपने उतारे हुए हैं

नहीं पास कुछ एक दिल है सो वो भी
क़िमार-ए-मोहब्बत में हारे हुए हैं

मज़े वस्ल में जो उठाए थे ऐ दिल
जुदाई में अब वो ही आरे हुए हैं

हमें होश है अब कहाँ तन-बदन का
कि 'मज्ज़ूब' उन के पुकारे हुए हैं