नश्तर से आरज़ू के दिल-ए-ज़िंदगी फ़िगार
ख़ुद ज़िंदगी वजूद के सीने में नोक-ए-ख़ार
ऐ हुस्न-ए-यार तेरी तजल्ली को क्या हुआ
ये बे-क़रार दिल मिरा अब तक है बे-क़रार
जल्वों ने तेरे हसरत-ए-नज़्ज़ारा को मिरी
देखा किया है नाज़-ए-तग़ाफ़ुल से बार बार
दिल पर निगाह-ए-शौक़ मिज़ाज-ए-जमाल पर
हालात-ओ-वारदात पे किस को है इख़्तियार
मुझ पर हुई नवाज़िश-ए-पिन्हाँ कभी कभी
महरूम साअ'तों की तमन्ना है सोगवार
अल्लाह तेरे हुस्न-ए-फ़रोज़ाँ की पर्दगी
इक लौ सी थर्थराई पस-ए-चश्म-ए-अश्क-बार
की रहबरी ख़याल-ए-लब-ए-यार तक मिरी
ऐ तिश्नगी-ए-शौक़ मिरी ज़िंदगी निसार
ग़ज़ल
नश्तर से आरज़ू के दिल-ए-ज़िंदगी फ़िगार
अख़्तर ओरेनवी