नश्शा करने का बहाना हो गया
जब ज़रा मौसम सुहाना हो गया
तुझ से मिलना तो कुजा ऐ जान-ए-जाँ
तुझ को देखे अब ज़माना हो गया
मुड़ के देखा जब भी पीछे की तरफ़
आज धुँदला कल फ़साना हो गया
गुल्सिताँ-ज़ादे बहुत ही शाद हैं
जब से ज़िंदाँ में ठिकाना हो गया
जीत हक़ की ज़ालिमों के वास्ते
ख़ूँ बहाने का बहाना हो गया
सच लिखूँगा चाहे मिट जाऊँ 'हनीफ़'
झूट अब मेरा निशाना हो गया
ग़ज़ल
नश्शा करने का बहाना हो गया
हनीफ़ तरीन