नस नस में नशा प्यार का मामूर हुआ है
दिल तेरे मिलन के लिए मजबूर हुआ है
वादी में बरस कर अभी बरसात छटी है
चिड़ियों की चहक से समय मसरूर हुआ है
आँखों की गुज़रगाह से दर आया है दिल में
तू मेरे तसर्रुफ़ से बहुत दूर हुआ है
सौ बार तिरा मेरा फ़साना हुआ यकजा
सौ बार मरे संग तू मज़कूर हुआ है
तू रंग महक रूप में आया तुझे पाया
इज़हार तिरे प्यार का भरपूर हुआ है
ग़ज़ल
नस नस में नशा प्यार का मामूर हुआ है
नासिर शहज़ाद