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नहीं रुकता तो जा ख़ुदा-हाफ़िज़ | शाही शायरी
nahin rukta to ja KHuda-hafiz

ग़ज़ल

नहीं रुकता तो जा ख़ुदा-हाफ़िज़

नातिक़ गुलावठी

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नहीं रुकता तो जा ख़ुदा-हाफ़िज़
ऐ दिल-ए-मुब्तला ख़ुदा-हाफ़िज़

आई होगी तो मौत आएगी
तुम तो जाओ मिरा ख़ुदा हाफ़िज़

हम चले रेहन-ए-आरज़ू हो कर
दिल-ए-बे-मुद्दआ ख़ुदा-हाफ़िज़

एक काफ़िर की है नज़र दिल पर
मेरे ईमान का ख़ुदा हाफ़िज़

बस ख़ुदा याद आ गया 'नातिक़'
जब वो कह कर चला ख़ुदा-हाफ़िज़