नहीं निबाही ख़ुशी से ग़मी को छोड़ दिया
तुम्हारे बा'द भी मैं ने कई को छोड़ दिया
हों जो भी जान की जाँ वो गुमान होते हैं
सभी थे जान की जाँ और सभी को छोड़ दिया
शुऊ'र एक शुऊ'र-ए-फ़रेब है सो तो है
ग़रज़ कि आगही ना-आगही को छोड़ दिया
ख़याल-ओ-ख़्वाब की अंदेशगी के सुख झेले
ख़याल-ओ-ख़्वाब की अंदेशगी को छोड़ दिया
ग़ज़ल
नहीं निबाही ख़ुशी से ग़मी को छोड़ दिया
जौन एलिया