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न तुझ से है न गिला आसमान से होगा | शाही शायरी
na tujhse hai na gila aasman se hoga

ग़ज़ल

न तुझ से है न गिला आसमान से होगा

अब्बास ताबिश

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न तुझ से है न गिला आसमान से होगा
तिरी जुदाई का झगड़ा जहान से होगा

तुम्हारे मेरे तअ'ल्लुक़ का लोग पूछते हैं
कि जैसे फ़ैसला मेरे बयान से होगा

अगर यूँही मुझे रक्खा गया अकेले में
बरामद और कोई उस मकान से होगा

जुदाई तय थी मगर ये कभी न सोचा था
कि तू जुदा भी जुदागाना शान से होगा

गुज़र रहे हैं मिरे दिन इसी तफ़ाख़ुर में
कि अगला क़ैस मिरे ख़ानदान से होगा