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न तो दिल का न जाँ का दफ़्तर है | शाही शायरी
na to dil ka na jaan ka daftar hai

ग़ज़ल

न तो दिल का न जाँ का दफ़्तर है

जौन एलिया

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न तो दिल का न जाँ का दफ़्तर है
ज़िंदगी इक ज़ियाँ का दफ़्तर है

पढ़ रहा हूँ मैं काग़ज़ात-ए-वजूद
और नहीं और हाँ का दफ़्तर है

कोई सोचे तो सोज़-ए-कर्ब-ए-जाँ
सारा दफ़्तर गुमाँ का दफ़्तर है

हम में से कोई तो करे इसरार
कि ज़मीं आसमाँ का दफ़्तर है

हिज्र ता'तील-ए-जिस्म-ओ-जाँ है मियाँ
वस्ल जिस्म और जाँ का दफ़्तर है

वो जो दफ़्तर है आसमानी-तर
वो मियाँ जी यहाँ का दफ़्तर है

है जो बूद-ओ-नबूद का दफ़्तर
आख़िरश ये कहाँ का दफ़्तर है

जो हक़ीक़त है दम-ब-दम की याद
वो तो इक दास्ताँ का दफ़्तर है

हो रहा है गुज़िश्तगाँ का हिसाब
और आइंदगाँ का दफ़्तर है