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न सोचा था ये दिल लगाने से पहले | शाही शायरी
na socha tha ye dil lagane se pahle

ग़ज़ल

न सोचा था ये दिल लगाने से पहले

शकील बदायुनी

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न सोचा था ये दिल लगाने से पहले
कि टूटेगा दिल मुस्कुराने से पहले

उमीदों का सूरज न चमका न डूबा
गहन पड़ गया जगमगाने से पहले

अगर ग़म उठाना था क़िस्मत में अपनी
ख़ुशी क्यूँ मिली ग़म उठाने से पहले

कहो बिजलियों से न दिल को जलाएँ
मुझे फूँक दें घर जलाने से पहले