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न पानियों का इज़्तिरार शहर में | शाही शायरी
na paniyon ka iztirar shahr mein

ग़ज़ल

न पानियों का इज़्तिरार शहर में

फ़ारूक़ मुज़्तर

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न पानियों का इज़्तिरार शहर में
न मौसमों का ए'तिबार शहर में

मिसाल-ए-मौजा-ए-हवा इधर उधर
रवाँ-दवाँ है इंतिशार शहर में

है शब गए घरों में रौशनी सी क्या
है सब को किस का इंतिज़ार शहर में

हर इक निगाह बे-मक़ाम बे-जहत
हर एक जिस्म बे-दयार शहर में

हर एक रंग आइने पे गर्द सा
हर एक नक़्श दिल-ए-फ़िगार शहर में

ख़ुदा के नाम झूट सच के सिलसिले
ख़ुदा बहुत है नाम-दार शहर में