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न मिरा ज़ोर न बस अब क्या है | शाही शायरी
na mera zor na bas ab kya hai

ग़ज़ल

न मिरा ज़ोर न बस अब क्या है

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

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न मिरा ज़ोर न बस अब क्या है
ऐ गिरफ़्तार-ए-नफ़स अब क्या है

मैं तिरे वास्ते आईना था
अपनी सूरत को तरस अब क्या है

दाने दाने पे उतर आए परिंद
बंदा-ए-दाम-ए-हवस अब क्या है

किस हवा में है तू ऐ अब्र-ए-करम
अब बरस या न बरस अब क्या है

रहा जब तक रहा सम्तों का ज़वाल
आई आवाज़-ए-जरस अब क्या है