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मुसव्विरी में नफ़स फूँकने का फ़न भी तो हो | शाही शायरी
musawwiri mein nafas phunkne ka fan bhi to ho

ग़ज़ल

मुसव्विरी में नफ़स फूँकने का फ़न भी तो हो

शाह नवाज़ ज़ैदी

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मुसव्विरी में नफ़स फूँकने का फ़न भी तो हो
कि पैरहन हो अगर साज़-ए-पैरहन भी तो हो

तो सिर्फ़ अक्स नहीं इक सहीफ़ा-ए-फ़न है
इस आइने में कभी गर्मी-ए-बदन भी तो हो

वो शायद इस लिए तस्वीर बन के बैठा रहा
फ़क़त सुख़न ही नहीं हसरत-ए-सुख़न भी तो हो

मैं आबी रंग में थोड़ी सी आब चाहता हूँ
अगर निगाह पड़े आँख में चुभन भी तो हो

ये सोच कर उसे गुल-दान में सजा न सके
वो फूल है तो उसे सोहबत-ए-चमन भी तो हो