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मुँह से जो कुछ बोलो भय्या | शाही शायरी
munh se jo kuchh bolo bhayya

ग़ज़ल

मुँह से जो कुछ बोलो भय्या

सहर महमूद

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मुँह से जो कुछ बोलो भय्या
पहले उस को तोलो भय्या

बोझ ज़रा कम हो जाएगा
याद में उन की रो लो भय्या

तन्हा कब तक चलते रहोगे
साथ किसी के होलो भय्या

ये गलियाँ बदनाम बहुत हैं
जल्द यहाँ से डोलो भय्या

मैं ने भी ये सीख लिया है
प्यार हो जिस से बोलो भय्या

अच्छा है ये दर्द किसी का
अपने दिल में समो लो भय्या

देर हुई मैं कान धरे हूँ
दरवाज़ा तो खोलो भय्या