मुझे अज़ीज़ है ये निकहतों का गहवारा
ख़ुदा करे न मिले तेरे ग़म से छुटकारा
कली कली तिरी दोशीज़गी की ख़ुश्बू है
चमन चमन तिरी रानाइयों का नज़्ज़ारा
क़दम क़दम तिरे आब-ए-हयात के चश्मे
रविश रविश तिरी जू-ए-ख़िराम का धारा
नफ़स नफ़स तिरे कूचे में एक आलम है
यहाँ से लौट के जाने का अब किसे यारा
गली गली मिरी रुस्वाइयों के चर्चे हैं
कहाँ कहाँ लिए फिरती है बू-ए-आवारा
ग़ज़ल
मुझे अज़ीज़ है ये निकहतों का गहवारा
ख़लील-उर-रहमान आज़मी

