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मुझ से मेरी हयात रूठ गई | शाही शायरी
mujhse meri hayat ruTh gai

ग़ज़ल

मुझ से मेरी हयात रूठ गई

अब्दुल मलिक सोज़

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मुझ से मेरी हयात रूठ गई
तुम नहीं काएनात रूठ गई

वो बड़ी मुश्किलों से आई थी
तुम न आए तो रात रूठ गई

मौत को मौत आ गई शायद
या हमारी नजात रूठ गई

ज़िंदगी ग़म का साथ दे न सकी
दफ़अ'तन बे-सबात रूठ गई

'सोज़' इशरत में साथ थी दुनिया
पर दम-ए-मुश्किलात रूठ गई