मुझ से मेरी हयात रूठ गई
तुम नहीं काएनात रूठ गई
वो बड़ी मुश्किलों से आई थी
तुम न आए तो रात रूठ गई
मौत को मौत आ गई शायद
या हमारी नजात रूठ गई
ज़िंदगी ग़म का साथ दे न सकी
दफ़अ'तन बे-सबात रूठ गई
'सोज़' इशरत में साथ थी दुनिया
पर दम-ए-मुश्किलात रूठ गई
ग़ज़ल
मुझ से मेरी हयात रूठ गई
अब्दुल मलिक सोज़